विपिन त्रिपाठी

विपिन त्रिपाठी (Vipin Tripathi)

(माताः श्रीमती कलावती त्रिपाठी, पिताः स्व. मथुरा दत्त त्रिपाठीद्ध

जन्मतिथि : 23 फरवरी 1945

जन्म स्थान : द्वाराहाट

पैतृक गाँव : दैरी जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 3 पुत्र, 1 पुत्री

शिक्षा : स्नातक

प्राथमिक शिक्षा- बेसिक प्राइमरी पाठशाला, मुक्तेश्वर

हाईस्कूल- मुक्तेश्वर, इण्टर- द्वाराहाट

स्नातक- कुमाऊँ विश्वविद्यालय, इलेक्ट्रिकल डिप्लोमा- हल्द्वानी

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः डा. राममनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित होकर 1967 में समाजवादी आंदोलन में शामिल।

प्रमुख उपलब्धियाँ : 1968-69 में हल्द्वानी में ‘युवजन मशाल’ पाक्षिक पत्रिका का प्रकाशन; नैनीताल की तराई में 1965-69 में भूमिहीन आंदोलन में सक्रिय, 1970 में नैनीताल में समाजवादी युवजन सभा का प्रदेश सम्मेलन का आयोजन व प्रथम जेल यात्रा, 1971 में द्वाराहाट से ‘द्रोणांचल प्रहरी’ पाक्षिक का प्रकाशन, वनों की लूट के विरुद्ध तथ्यात्मक समाचारों का प्रकाशन, स्टार पेपर मिल का कोप भाजन, पत्र के विरुद्ध प्रेस काउंसिल में मुकदमा, वन बचाओ आंदोलन की शुरूआत, 1974 में वनों की नीलामी के विरुद्ध अन्य साथियों के साथ दो बार प्रदर्शन व गिरफ्रतारी, आपातकाल में जून 1975 में प्रेस एक्ट की विभिन्न घाराओं व डी.आई.आर. में गिरफ्तारी, प्रेस सील, समाचार पत्र बन्द, अल्मोड़ा सहित 5 जेलों की यात्रा। उ.प्र. में सर्वाधिक 22 माह का सश्रम कारावास। 1977 में रिहाई, जनता दल की नीतियों से असहमत होकर पहले उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी फिर उत्तराखण्ड क्रांति दल में शामिल। द्वाराहाट महाविद्यालय की स्थापना हेतु 9 दिनों का आमरण अनशन, द्वाराहाट में पॉलीटेक्नीक व इंजीनियरिंग कालेज खुलवाने में भी विशेष भूमिका। द्वाराहाट के ब्लाक प्रमुख रहे। राज्य गठन के बाद निर्वाचित प्रथम विधानसभा में विधायक। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में निरन्तर सक्रिय तथा विभिन्न जेलों बंद रहे।

युवाओं के नाम संदेशः जब देश नैतिक व चारित्रिक मूल्यों के पतन के कगार पर है। व्यक्तिवाद, परिवार-जातिवाद फैल चुके है, भ्रष्टाचार चरम पर है, ऐसे समय में हिमालय पुत्रों के सामने अग्निपरीक्षा की घड़ी आ गयी है। उक्त महामारियों से छुटकारा पाकर एक आदमी बनना होगा। फिर वे जिस भी क्षेत्र में जायेंगे, उनकी प्रतिभा व योग्यता का लाभ इस प्रदेश, भारत व मानवता को मिल सकेगा। जिस प्रकार हिमालय व गंगा-यमुना ने सारे मानव समाज को दिशा दी है, जीवन दिया है, हम भी उसी अनुरूप आगे बढ़ें।

विशेषज्ञता : जनान्दोलन, लेखन, सम्पादन, समाज सेवा.

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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One Thought to “विपिन त्रिपाठी”

  1. विपिन जी का देहावसान ३० अगस्त २००४ को हो गया था। इसे भी लेख में जोड़ दें, (2001-2004) अपनी मृत्यु तक वे उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के अध्यक्ष भी रहे

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